Tuesday, July 17, 2007

किलरलाइन...दिल्ली की जीवनरेखा

दिल्ली में ठीकठाक रहने के लिए ये भी थोड़े कम है कि कोई ब्लूलाइन बसों के नीचे आने से बचा हुआ है, है कि नहीं...

हमलोगों ने आम लोगों की जीवनरेखा को सिफॆ इसलिए दैत्य,जानलेवा और खूनी बना दिया है क्योंकि यह ऐसी खबर है जो लंबी खींची जा सकती है और टीवी वालों की किस्मत देखिए,चालीस लाख वाहनों वाले इस शहर में कम से कम एक-दो आदमी तो उनके लिए हर रोज शहीद होने के लिए तैयार हैं ही. उन्हें सड़क पर दौड़ लगाने से पहले यह देखने की फुसॆत कहां है कि इस भागमभाग में उनकी अंतिम यात्रा का बंदोबस्त तो नहीं हो जाएगा.बेचारी ब्लूलाइन॥

अपने यहां प्रचलन है, जिसका नुकसान ज्यादा, वो बेचारा और कम क्षति उठाने वाला हमेशा ही नाहगार होता है. साईकिल मोटरसाईकिल में भिड़ा दें तो गलत बाईक वाला होता है. बाईक वाला कार से जा टकराए तो अंधा कार वाला ही कहलाता है. कार और ट्रक आमने-सामने हो जाएं तो ट्रक वाला पीटा जाता है.घर-परिवार के लिए बस-ट्रक चलाने वाला कोई खून करने तो सड़क पर आता नहीं लेकिन कोई आदमी मरने के लिए ही अड़ा हो तो कोई उसे कब तक बचा सकता है.

1 comment:

अव्यक्त शशि said...

स्वागत है रितेश जी इस दुनिया में... मन-जतन से लगे रहिए.. अभी तक जो बेबाक टिप्पणियाँ आप हमारी महफिलों में जब-तब उगला करते थे उससे इस दुनिया के लोगों को भी नवाज़िए... बस जोश ठंढा न पड़े..