Monday, June 9, 2008

सोनिया की गैस खत्म, राहुल ने व्रत रखा...

चूंकि यह सपना है इसलिए इसके चरित्र और पात्र काल्पनिक हैं. लेकिन संयोग या कुयोग से अगर इन नामों से मिलते-जुलते लोग आपकी नजर में आएं तो उसे महासंयोग से अधिक न माना जाए।

कल रात मैं नींद पूरी नहीं कर सका. सपने में सोनिया आ गई थीं. और, सपना भी ऐसा डरावना कि पूछो मत...

सोनिया अम्मा राहुल भैया से पूछ रही थीं कि तुम्हारे पास कुछ पैसा है. राहुल ने पूछा क्यों, बोलीं गैस खत्म हो गई है. राहुल बोले, नहीं पैसा तो नहीं है. सोनिया ने फिर पूछा, इस महीने जो वेतन मिला था, क्या हुआ. राहुल बोले, दोस्तों के साथ उड़ीसा के दलित इलाके में पिकनिक मनाने गया था. काफिले में गाड़ियां ज्यादा थी, कई टीवी वाले भी थे, सबकी टंकी फुल करानी पड़ी. रेस्तरां में खाने-पीने का खर्च बढ़ गया. राहुल बोले, मनमोहन या मुरली को कहते हैं, गैस सिलेंडर भिजवा देंगे. सोनिया बोलीं, नहीं. लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे. राहुल बोले, देश में लोग ऐसे ही चल रहे हैं, कोई कुछ नहीं बोलेगा. इस तरह की उधारी तो आम आदमी के लिए आम बात है. वाद-विवाद के बाद तय हुआ कि प्रियंका दीदी की ससुराल से ही गैस सिलेंडर मंगवा ली जाए. दीदी व्यापारी परिवार में गई हैं सो वहां कोई दिक्कत-सिक्कत है नहीं।

राहुल भैया ने प्रियंका दीदी के घर फोन लगाया. पता चला कि फोन की लाइन कट गई है. जेब में पैसे थे नहीं तो राहुल भैया खुद साइकिल लेकर निकले प्रियंका दीदी के घर. वहां पहुंचकर पूछे कि फोन को क्या हो गया. दीदी ने बताया कि बीएसएनएल वालों का चार्ज महंगा है और बिल बहुत आ गया था तो हमने कटवा लिया. अब मोबाइल ले लिए हैं जिसमें इनकमिंग आने पर पैसा बढ़ जाता है. राहुल भैया ने कहा कि ये बीएसएनएल वाले कॉल दर सस्ती क्यों नहीं करते, जब कम रेट पर अंबानी की कंपनी मुनाफा कमा सकती है तो ये सरकारी कंपनी क्यों महंगाई बनाए हुए हैं. दीदी बोलीं, यही तो.... क्योंकि यदि बीएसएनएल सस्ता हो गया तो लोग हच, एयरटेल, रिलायंस क्यों लेंगे और जब ये मुनाफा नहीं कमाएंगे तो चंदा कैसे देंगे।

खैर, चाय-पानी के बाद जल्दी ही राहुल काम की बात पर आ गए. दीदी को बताए कि घर पर गैस खत्म हो गई है, मां ने सिलेंडर मांगा है. इस महीने की तनख्वाह मिलने पर गैस लौटा दूंगा. दीदी ने कहा, मेरे घर भी एक ही सिलेंडर है. पहले दो-तीन भरकर रखती थी लेकिन अब साग-सब्जी, चावल-दाल, तेल-घी सब महंगा हो गया है तो इतने पैसे नहीं बचते कि स्टॉक रखा जाए. बेचारे राहुल खाली हाथ घर लौट आए. मां को हाल सुनाया. सोनिया ने कहा, ऐसा करो कि तुम मेरे दफ्तर की गैस ले आओ, कहना हमारी खत्म हो गई है. वहाँ गए तो पता चला कि महंगाई से परेशान लोगों का एक झुंड आया था जो गैस सिलेंडर लूटकर ले गया।

साइकिल चला-चलाकर थक गए राहुल घर लौटे और मां को हाल बताया. सोनिया ने शिवराज को फोन लगाया और कहा कि उनके दफ्तर से लूटे गए गैस सिलेंडर को खोजा जाए. शिवराज बोले, पता कर रहा हूं लेकिन जहां तक मेरी खबर है, इसमें पड़ोसियों का हाथ होने के संकेत मिले हैं लेकिन अभी यह पूरी तरह नहीं कहा जा सकता क्योंकि इससे पड़ोसी से आपके संबंधों पर असर पड़ सकता है।

सोनिया भी परेशान हो गईं. झल्लाहट में उन्होंने रेसकोर्स फोन लगाया. पूछा इतनी महंगाई कैसे बढ़ गई है. मनमोहन बोले, चिदंबरम से पूछिए. चिदंबरम से पूछ गया, वो बोले, मनमोहन से पूछिए. सोनिया बोलीं, अरे आम आदमी तो मुझसे पूछेंगे न. तुम तो खास आदमी के सवालों के जवाब देने के लिए हो।

अब राहुल परेशान. भूख बढ़ती जा रही थी, साइकिल चलाने से कमजोरी कुछ ज्यादा ही हो गई थी. मां से बोले, कुछ खाना दो. सोनिया बोलीं, गैस खत्म है तो कुछ बना नहीं है. अचानक सोनिया की आंखों में चमक आ गई, राहुल से बोलीं कि आज मंगलवार है तो तुम ऐसा करो कि मंगल का व्रत रख लो. शाम तक कुछ इंतजाम हो जाएगा. इस बीच मैं राजीव से कह देती हूं कि वो खबर फैला दे कि राहुल बाबा ने मंगल व्रत रखा है ताकि देश में महंगाई खत्म हो और आम आदमी को राहत मिले. राहुल ने कहा, इसे खबर बनाने की क्या जरूरत है. सोनिया बोलीं, इससे तुम दलितों के बाद हिंदुओं के बीच भी हृदय सम्राट बन जाओगे.....

अब इसके बाद तो चमक राहुल की आंखों में थी. भूख का दुख गायब, गैस की चिंता खत्म....................

आगे भी कुछ दिखता लेकिन मेरी अम्मा ने जगा दिया. गैस खत्म हो गई थी। अब उधारी-जुगाड़ी की बारी मेरी थी. लेकिन मंगल का व्रत रखने का सपनैली कांग्रेसमाता का आइडिया मेरी भी आँखों में कौंध रहा था और इससे छलक रही मेरी खुशी का राज जाने बगैर मेरी अम्मा मुझे बावला घोषित कर चुकी थी।

यह एक बावले का बावलापन था या कांग्रेसमाता के आइडिये का दिवालियापन, तय करने में वक्त लगेगा.

मोह तो अब सपनों से भी टूट गया... सच ही कहा है.. सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना... उधारी-जुगाड़ी के सारे प्रयास विफल हो चुके थे. मन में पाश की तरह की कविता हो रही थी.. अम्मा, कितना मुश्किल है बिना गैस के घर लौट कर आना...

जनपथ देवी की जय...