Sunday, February 17, 2008

अपने स्तर पर ईमानदार रहो...

सोचा था कि वेलेंटाइन डे के बाद अपनी निजी डायरी लिखने की शुरुआत करूंगा. बाबा वेलेंटाइन की जयंती बीत चुकी है. उस दिन मैंने अपने उन दो-चार मित्रों को शुभकामनाएं दी जिनके वेलेंटाइन हैं.

लोगों ने जब संदेश के बदले धन्यवाद कहा तो लगा कि बस उनके बारात से ही लौटा हूं. वैसे, इनमें कई की बारात जाना ही है.

जिन दोस्तों के झगड़े चल रहे हैं, उनको बधाई नहीं दी. क्या पता, संदेश जले पर नमक जैसा होता. झगड़े नियमित अंतराल पर होते रहते हैं. उम्मीद है कि जिनको इस साल बधाई नहीं दी, अगले साल उन्हीं को दे पाउंगा.

यह समझदारी पिछले साल ही आई है.

दिवाली पर बेगूसराय के लोगों को मैं पर्व की बधाई दे रहा था. मेरी बदनसीबी, जिन लोगों को मेरे संदेश मिल रहे थे वे सारे उस वक्त श्मशान घाट पर एक दाह संस्कार में थे. मुझे समय पर खबर मिली होती तो शायद मैं भी उस वक्त गंगा किनारे उन लोगों के साथ होता.

मेरे शहर के बड़े और ईमानदार वकील राम नरेश शर्मा जी की हत्या कर दी गई थी. बड़े अपराधियों के खिलाफ सरकार की ओर से वे कोर्ट में कई मुकदमे लड़ रहे थे. राजनीतिक जीवन में भी वे बड़े कद के ईमानदार लोग थे. समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे।

उनकी हत्या की जांच अब राज्य की अपराध अन्वेषण विभाग, सीआईडी कर रही है।

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